Monday, 15 June 2020

मत कहो हमें बूढा

मत कहो बूढा हमें
मत कहो OLD  हमें
हम तो खरा सोना है
जो तप कर निकले
जीवन की भट्टी में
वह चमकता GOLD  हैं

यह केश चांदी से
ऐसे ही नहीं सफेदी आई है
जीवन के तपते अंगारों  से
केशों पर चांदी जैसी रंगत छाई है
यह झुर्रियों से भरा चेहरा
छुपा रखा है अनुभवो का खजाना

हर झुर्री की अपनी एक कहानी  है
कभी हंसती कभी बोलती
कहती यह क्या समझे
इन पोपलो मुख के पीछे  ममता की गहराई है

मत जाओ हमारी चालों पर
इन्हीं लडखती चालों ने
तुमको चलना सिखलाया है
हर पग पर राह दिखाई है

मत जाओ  हमारी स्मरण शक्ति पर
इनकी बदौलत तो आज यहाँ
सफलता का परचम लहरा रहे

मत जाओ हमारी ऑखो  की धुंधलापन पर
इन्हीं ने तो धुंद में भी रास्ता दिखाया है

हम बूढे ही सही
पर आज भी
हमसे ही तुम हो
तुमसे हम नहीं
यह कमजोर हड्डियां नहीं
दधीच की है
जिसने तुमको सांचे में ढाला है

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