Tuesday, 16 June 2020

हार तो नहीं ही मानेंगे

तुमने तो ख्वाब देखे थे
वह पूरा किये बिना ही चल दिए
चांद पर घर बनाना चाहते थे
वह अधूरा ही छोड़ चले
धरती पर ही नहीं रह पाए
तब वहाँ कैसे पहुँचते
इतनी आसानी से कुछ भी हासिल नहीं
तप करना पडता है
जलना पडता है
नींव में जाकर दबना पडता है
तब जाकर एक खूबसूरत सा घर बनता है
सपने ऐसे ही साकार नहीं होते
बहुत कुछ जतन और यतन
तब जाकर होता है ख्वाबों का रूप सुनहरा
हर रोडे को हटाना पडता है
जो भी हो
जैसा हम चाहे
यह भी कभी होता है भला
कभी दिल टूटा
कभी कुछ सपने धराशायी हुए
तो क्या हुआ
न ख्वाब देखना गुनाह है
न उसे पूरा करना
वह तो इसीलिए होते ही है
बस यह ख्याल हमेशा रहे
चाहे कुछ हो
पर हार नहीं मानेंगे
हार तो नहीं ही मानेंगे

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