नया मास नयी आशा
यह वक्त भी गुजर जाएंगा
क्योंकि वक्त तो बहता पानी है
वह कभी ठहरता नहीं
कहीं भी किसी के लिए भी
हाॅ स्मृतियाँ शेष रह जाएंगी
याद आएगा करोना काल
जब पूरा विश्व महामारी से परेशान
कब मृत्यु दस्तक दे यह भी कोई नहीं जानता
दो मीटर की दूरी
चेहरे पर मास्क
ईश्वर के कपाट बन्द
बच गए वह भाग्यशाली
आज का दिन देखने को रह गए
सोचेंगे क्या क्या बदल गया
संबंधों में दरार
अपने ही अपने से दूर
न कहीं रौनक
न कहीं शोरगुल
सब हो गए थे घर में कैद
क्या शादी ब्याह
क्या पार्टी
क्या घूमना फिरना
सब गए थे छूट
पता चली पैसे की अहमियत
अस्पताल और डॉक्टर की कीमत
सफाई कर्मचारी के प्रति भाव
पुलिस के प्रति आदर
बहुत कुछ सिखा दिया था
स्वच्छता का महत्व समझा दिया था
भोजन की गुणवत्ता समझा दी थी
घर तो आखिर घर ही होता है
यह भी अच्छी तरह समझा दिया था
जिंदगी का कोई भरोसा नहीं
यह एहसास दिला दिया था
ऐसा वक्त तो हमेशा नहीं आता
आने की जरूरत नहीं है
यही भगवान से प्रार्थना
इंसान को इतना बेबस और लाचार कर दे
विज्ञान को भी परेशान कर दे
ऐसा वक्त थम ही जाय
तब ही हो सब मंगल काम
आषाढ़ी एकादशी आई है
नई आशा लाई है
बस जल्दी से सब ठीक हो
सावन का भी आगमन
भोलेनाथ बाबा की कृपा हो
इस जहरीले करोना का नाश हो
फिर सब वही पहले जैसी बात हो
ऐसे वक्त की नहीं आवश्यकता
बस जल्दी से चलता हो
पिंड छूटे
मानव जाति का कल्याण हो
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