दीया बुझने लगा है
अब तो बस तारे ही टिमटिमा रहे हैं
वे भी कुछ समय में ओझल हो जाएंगे
रात भी खिसकने लगी है
भोर अभी अंगडाई ले रहा है
कुछ समय बाद किरण पसरेगी
सब जगह प्रकाश ही प्रकाश
उसके प्रकाश में किसी की जरूरत नहीं
सब अपने आप प्रकाशित
ऐसे ही प्रकाश बन उभरना है
चहुँ दिशाओं में पसरना है
तारा और दीया बन टिमटिमाता नहीं
अपना प्रकाश स्वयं बनना है
अपनी आभा स्वयं फैलाना है
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