आज मन गुनगुना रहा है
यह झुमका जो है
झुनझुना रहा है
तुम नहीं
तुम्हारे प्यार की सौगात सही
जब जब झंकृत होते इसके घुंघरू
लगता कहीं तुम आसपास हो
हौले हौले से कुछ कानों में कह रहा है
गालों को सहला रहा है
जब जब डोलता
तब तब तुम्हारी याद भी हिलोरे लेती
झूम झूम कर कहता
इतराता और इठलाता
जब धीरे से छूती इसको
तब मन रोमांचित हो जाता
तुम्हारा स्पर्श जो इसमें समाया
यह दो है
एक के बिना दूसरा अधूरा
लगता एक मैं और एक तुम
जब साथ में मिलते हैं
तभी सुमधुर घंटी बजती है
जैसे इसके घुंघरू की घनघनन
मेरा मन हो रहा झनझनन
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Monday, 23 November 2020
झुमका करें झनझन
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