बहुत कुछ बदला है
समय बदल गया
उम्र बदल गई
चेहरा बदल गया
शरीर पर झुर्रियों ने घेरा डाल दिया
शरीर कमजोर
हाथ पैर का लडखडाना
लडना नहीं बदला
वह बदस्तूर जारी है
अब शायद पहले से ज्यादा
क्योंकि पता है
अब न तुम बदल सकते
न मैं बदल सकती
जो है सो है
लडाई भी बरसों से
लगता एक तपस्या है
अब न तुम मुझे छोड़ेगे
न मैं तुमको छोड़ने वाली
वह अटूट बंधन
अब और अटूट
लडते झगड़ते तो जिंदगी कट गई
मैं तुमको बदलती रही
तुम मुझको बदलते रहे
बदलाव होता रहा
हम हम न रहें
तुम तुम न रहें
एक दूसरे के अनुसार हो रहें
अब क्या गिला शिकवा
सब बदला बदला
बस हमारा साथ न बदला
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Monday, 23 November 2020
बस हमारा साथ न बदला
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