Thursday, 28 January 2021

भीड़तंत्र की आड में षडयंत्र

ऐसा तो नहीं जो दिखाई दे रहा है
वह सच न हो
ऑखों का धोखा हो
षड्यंत्र हो
नहीं तो जो किसान इतने दिनों से शांति पूर्ण आंदोलन कर रहे थे
अचानक उग्र कैसे हो गए
ऐसा तो नहीं उन्हें बदनाम करने की साजिश
लोगो की सहानुभूति खत्म
देश का सवाल है
उस पर ऑच न आएं यह हर भारतीय की इच्छा
गणतंत्र दिवस पर ऐसा बर्ताव जनमानस बर्दाश्त नहीं कर सकता
भारतीयों की देशभक्ति सर्वविदित है
आज अन्नदाता के प्रति रोष है
वह जान दे देता है लेता नहीं है
यहाँ पुलिस पर प्रहार
जान माल पर उतारू
असामाजिक तत्वों का तो कहीं यह काम नहीं
किसानों को बदनाम करने की साजिश
कहीं इसमें कुटिल राजनीति तो नहीं
लाल किले पर उपद्रव
झंडे का भी अपमान
जवानों पर हमला
भाला , डंडा , पिस्तौल , लाठी
यह सब साथ में हथियार
सुनियोजित था क्या ??
इसका लाभ किसे ?
किसानों को तो कदापि नहीं
उनकी तो साख मिट्टी में मिली
सब जांच का विषय है
भीड़तंत्र की आड में षडयंत्र
मीडिया की भूमिका तो किसी से छिपी नहीं है
डिबेट देख लो हर चैनल पर
पक्षपात एकदम नजर आ जाता है
वह तटस्थ तो बिल्कुल नहीं
प्रजातंत्र के लिए यह बडा घातक है

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