Saturday, 23 January 2021

सुभाष चंद्र बोस

वह सुभाष था
भारत माता का लाल था
आजादी का दीवाना था
आजादी मुफ्त में नहीं मिलेंगी
तुम खुन दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
आजाद हिंद सेना की स्थापना
कूंच कर दिया आजादी का दीवाना
चला फौज ले जर्मनी से
वह नेता था ऐसा मतवाला
नहीं सफेद धोती कुर्ते वाला
खाकी रंग धारी सर पर टोपी न्यारी
थी यह सुभाष की पोशाक प्यारी
रह सकता था वह भी महलों में आराम से
कर सकता था अंग्रेजों की गुलामी
हर ऐश्वर्य - आराम को भोग सकता था
यह आजादी की कीमत पर स्वीकार नहीं था
आजादी तो मिली
सुभाष कहीं खो गए
भारत माता का सपूत लापता
हुआ पता नहीं क्या
अटकलें लगी तमाम
अब तक है असमंजस
क्या षड्यंत्र था या फिर और कुछ
सुभाष फिर वापस नहीं लौटे
आजादी तो मिल ही गई
सुभाष का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित कर गई

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