जिस घर से पिता का साया उठ जाता है
वह घर विरान हो जाता है
समय से पहले ही बच्चे बडे हो जाते हैं
सारी जिद काफूर हो जाती है
मान - मनौवल सबकी छुट्टी हो जाती है
एक ही पल में जग बदल जाता है
जीने की परिभाषा बदल जाती है
चेहरे की मुस्कान छिन जाती है
एक के नहीं होने से जीवन रिक्त हो जाता है
लोगों का नजरिया बदल जाता है
आसमान से सीधा धरती पर धडाम से
एक खौफ एक डर मन में समा जाता है
अकेलेपन का एहसास हो जाता है
जिम्मेदारियो का बोझ आ जाता है
अमीर हो या गरीब
जिस पर पिता का साया
वह सच में धनवान होता है
बहुत भाग्यवान होता है
न रहने पर वह
अनाथ हो जाता है
जिस घर से पिता का साया उठ जाता है
वह घर वीरान हो जाता है
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Monday, 4 January 2021
पिता का साया
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