चल रही वसंती हवा
तन - मन को आह्लादित कर रही
कोयल कूक रही
पेड़ झूम रहे
हरियाली की बहार आई
जब वसंती हवा लहराई
कुदरत ने भी ली अंगडाई
झूम उठे सब जन जीव
प्रसन्नता से हुए सराबोर
जब चला हवा का झोंका
खुशबू तन - मन में समाई
तितली - भौंरे मंडराए
गुनगुन गुनगुन गीत गुनगुनाए
ओस भी मोती बन चमक रही
पत्तों को झिलमिला रही
वसंती बयार की बहार
सबको अपने रंग में रंग गई
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Monday, 18 January 2021
वसंती हवा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment