Monday, 18 January 2021

वसंती हवा

चल रही वसंती हवा
तन - मन को आह्लादित कर रही
कोयल कूक रही
पेड़ झूम रहे
हरियाली की बहार आई
जब वसंती हवा लहराई
कुदरत ने भी  ली अंगडाई
झूम उठे सब जन जीव
प्रसन्नता से हुए सराबोर
जब चला हवा का झोंका
खुशबू तन - मन में समाई
तितली - भौंरे मंडराए
गुनगुन गुनगुन गीत गुनगुनाए
ओस भी मोती बन चमक रही
पत्तों को झिलमिला रही
वसंती बयार की बहार
सबको अपने रंग में रंग गई

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