मैं औरत हूँ
मानव हूँ
मुझसे अपेक्षा
सर्वगुण संपन्न
वह कैसे हो सकता है
कमजोरियों का पुतला है मानव
तभी तो वह ईश्वर नहीं मानव है
मेरे हर रूप को स्वीकार करना होगा
अगर मैं पढी - लिखी हूँ
कामकाजी हूँ
तब घर के कामकाज में उतनी कुशल तो नहीं हो सकती
अगर मैं हाऊसवाइफ हूँ
तब मुझसे पैसे कमाने की अपेक्षा व्यर्थ
घर करीने से संभालना
इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकती
अगर मैं सुंदर हूँ
तब मेरे सौदर्य प्रसाधन और ब्यूटी पार्लर का खर्चा तो उठाना ही पडेगा
अगर मैं स्वतंत्र विचारों की हूँ
अपने फैसले स्वयं लेना चाहती हूँ
तब उसका सम्मान करना ही पडेगा
अगर मैं मजबूत हूँ
तब मुझे मजबूर बनाना उचित नहीं
मुझे स्वयं तय करने की स्वतंत्रता हो
अगर मैं पब्लिक लाइफ में हूँ
तब मुझसे किसी से भी मिलने जुलने में पाबंदी न हो
चौबीस घंटे मैं फ्री रहूँ
रात - दिन का कोई मायने न हो
अब आपको कैसी पत्नी चाहिए
चुनाव आपका है
उसको पूरे मन और सम्मान के साथ स्वीकार करें
जो वह नहीं कर सकती
वह उससे अपेक्षा न किया जाए
तभी गृहस्थी की गाड़ी चलेंगी
मैं औरत हूँ
मानव हूँ
मुझे मेरे गुण - दोष के साथ स्वीकारा जाय
No comments:
Post a Comment