कुंती ने कृष्ण से मांगा था
दुख का वरदान
ताकि ईश्वर हमेशा स्मरणीय रहें
दुख का क्यों
सुख का वरदान मांगा जाएं
स्मरण करने वाला तो सुख में भी स्मरण करेंगा
दुख की जरूरत नहीं है
और भक्ति भाव करेंगा
ऑसुओं की अपेक्षा हंस - कूदकर
नाच - गाकर करेंगा
हमेशा रोते ही रहें
हमेशा याचना ही करते रहें
यह जरूरी तो नहीं
खुश मन से भक्ति हो
भक्त को कोई चिंता और दुख न हो
इतना हो कि कुछ मांगने की नौबत न आएं
स्वतंत्र मन से भक्ति करें
बिना किसी भार के दुख के
हमेशा रोते रहना
दुख और ऑसुओ में डुबे रहना
यह ईश्वर को भी कहाँ सुहाएगा
सब कुछ छोड़ दो
भाग्य की कलम उसके हाथ में है
जिंदगी की किताब भी उसके हाथ में है
बस यह मांगे
वह हमेशा साथ रहें
उसकी कृपा बनी रहें
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Sunday, 7 February 2021
दुख का वरदान क्यों ???
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