यदि पूछा जाता महारानी कैकयी से
अब भी राज्य चाहिए क्या अपने भरत के लिए
जिस कारण पूरी अयोध्या ही सूनी हो गई
पति को खोना
बेटे को संन्यासी
हमेशा के लिए कलंकित
तब शायद वह नहीं कहती
यदि सत्यवती के पिता को पूछा जाता
क्या अब भी अपनी बेटी के पुत्र के लिए राज्य चाहिए
भीष्म का अधिकार छीन कर
आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन के लिए मजबूर
तब वह शायद नहीं कहते
यदि धृतराष्ट्र को पता होता
जिस हस्तिनापुर का राज्य वे चाहते हैं
अपने सौ पुत्रों की मृत्यु पर
तब वह दुर्योधन को यह करने ही नहीं देते
इतिहास साक्षी है
राज्य और राजगद्दी हासिल करने के लिए
न जाने कितने अन्याय हुए
अगर परिणाम पता होता
तब शायद यह नहीं होता
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