Tuesday, 2 March 2021

आयशा की खुदखुशी

क्यों प्यार में पागल हो जाता है इंसान
अपनी जिंदगी को दांव पर लगा देता है
प्यार के बदले प्यार चाहना
यह कोई जुर्म तो नहीं
बहुत नसीबवानों को मिलता है
आज के स्वार्थी दुनिया में यह संभव नहीं
अब जीने - मरने की कसमें बेमानी है
न जाने किसमें किस कदर बेईमानी है
तब प्यार भी सोच विचार कर किया जाएं
नाप - तौल कर किया जाएं
ऑखों पर पट्टी बांध कर नहीं
उस शख्स के लिए जान दे देना
जिसे तुम्हारी परवाह नहीं
जिंदगी इतनी सस्ती तो नहीं
आज तो प्यार में पागल नहीं होना है
दिल नहीं दिमाग से सोचना है
बेवकूफ नहीं बनना है
वह चाहे कोई भी हो
आत्महत्या जैसा कदम उठाना
जिसने प्यार नहीं किया उसके लिए
जो प्यार कर रहे हैं आपके अपने
उनके लिए तो जीया होता
उनके लिए न सही अपने लिए ही सही
आज एक बच्ची हंसते - हंसते नदी में कूद जा रही है
अपने पीछे प्रश्न छोड़ जा रही है
एकतरफा हो या दोतरफा
आदमी की फितरत तो कभी भी बदल सकती है
उसके लिए तैयार रहे
जीवन किसी के प्यार में गिरवी नहीं रखना है
नहीं है छोड़ दो
पर इस जिंदगी को मत छोड़ो
न जाने कितनों की मेहनत और प्यार
आपकी मेहनत और त्याग
बरसों से संजोये हुए
जहाँ एक ठोकर से विचलित
वह बर्दाश्त नहीं
मरना कैसे स्वीकार
खडे रहे
छोड़ दे
जो आपको ठोकर मार रहा है
जिसको आपकी कदर नहीं
उस शख्स के लिए
यह तो नाइंसाफ़ी है अपने आप से

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