कल की बात
कल की बात भूलती नहीं
यह कल बहुत सालता है
यह कल न जीता है न जीने देता है
कल , आज और कल के बीच
यह आज पीसता रहता है
कल के चक्कर में आज कहीं खो जाता है
यह ऐसा अजीब चक्र है
जो घूम - फिर कर वहीं अटक जाता है
कल क्या हुआ
आने वाले कल में क्या होगा
एक कल घटित हो चुका है
एक होने वाला है
घटना यह किसी के बस में नहीं
फिर भी एक के बारे में सोचते रहते हैं
दूसरे के सपने बुनते रहते हैं
यह करते - करते जीवन बीत जाता है
हमारा आज कभी आज नहीं रहता
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 3 March 2021
हमारा आज
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment