Wednesday, 3 March 2021

हमारा आज

कल की बात
कल की बात भूलती नहीं
यह कल बहुत सालता है
यह कल न जीता है न जीने देता है
कल , आज और कल के बीच
यह आज पीसता रहता है
कल के चक्कर में आज कहीं खो जाता है
यह ऐसा अजीब चक्र है
जो घूम - फिर कर वहीं अटक जाता है
कल क्या हुआ
आने वाले कल में क्या होगा
एक कल घटित हो चुका है
एक होने वाला है
घटना यह किसी के बस में नहीं
फिर भी एक के बारे में सोचते रहते हैं
दूसरे के सपने बुनते रहते हैं
यह करते - करते जीवन बीत जाता है
हमारा आज कभी आज नहीं रहता

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