-विधि : विधाता का विधान अटल है
( जिसे कोई ज्योतिष : ज्ञानी - पोथी पंडित-तांत्रिक नही बदल सकता )
भगवान श्री राम जी का विवाह और राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त देख कर ही किया गया था (?)
- फिर भी ,
- ना वैवाहिक जीवन सफल हुआ(?)
और :
- ना ही राज्याभिषेक (?)
और जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो (?)
- उन्होंने साफ कह दिया-
------ सुनहु भरत भावी प्रबल ------
------ बिलखि कहेहूं मुनिनाथ ------
------ लाभ-हानि जीवन-मरण ------
------ यश-अपयश विधि हाथ ------
अर्थात :-
जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा👍
* ना भगवान श्री राम जी के जीवन को बदला जा सका (?)
- और :
- ना ही भगवान श्री कृष्ण के कष्ट दुःख:दर्द को बदल सके
* ना ही भगवान शिव -सती की मृत्यु को टाल सके (?)
- जबकि :
" महामृत्युंजय " मंत्र उन्हीं का आह्वान करता है।
* ना श्री गुरु अर्जुन देवजी
* ना श्री गुरु तेग बहादुर जी
और -
* ना ही श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी अपने साथ होने वाले विधि के विधान को टाल सके (?)
- जबकि आप सब समर्थ थे।👍
* रामकृष्ण परमहंस जी भी अपने कैंसर को ना टाल सके।
*स्वामी विवेकानंद को मधु मेह सम्मलित कई बीमारी को रोक नही सके (?)
* ना रावण अपने जीवन को बदल पाया (?)
- और :
* ना ही कंस, जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियां थीं।👍
मानव अपने जन्म के साथ ही -
* जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह, रंग, परिवार, समाज, देश और स्थान...
- सब पहले से ही निर्धारित करके आता है।👍
इसलिए -
* सरल रहें,
* सहज रहें,
* मन कर्म और वचन से..
"सद्कर्म" में लीन रहें।
* मुहूर्त ना जन्म लेने का है (?)
-और :
* ना ही मरने का(?)
- फिर शेष सब बकवास - अर्थहीन है
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