एक घर पिता का होता है
जहाँ अपनापन और अधिकार होता है
एक घर भाई का होता है
जहाँ हम मेहमान सरीखे होते हैं
कुछ भी छूने से डर लगता है
एक घर पिता का होता है
जहाँ हम जिद करते हैं
अपनी बात मनवा कर ही छोड़ते हैं
खाने में ना - नुकुर करते हैं
एक घर भाई का होता है
जहाँ हम समझदार हो जाते हैं
जो मिला वह खा लेते हैं
ना - नुकुर की कौन कहे
रसोई में जाने पर भी डर लगता है
एक घर पिता का होता है
जहाँ हम जब चाहे आ - जा सकते हैं
विचरण कर सकते हैं
परमीशन की जरूरत नहीं
एक घर भाई का होता है
जहाँ सोचना पडता है
मौका और वक्त देखना पडता है
एक घर पिता का होता है
जहाँ हम राजकुमारी होते है
राजदुलारी होते हैं
एक घर भाई का होता है
जहाँ हम सिर्फ उस घर की बेटी होते हैं
नाज - नखरे नहीं कर सकते
उसे उठाने वाला कोई नहीं
हर भाई पिता समान नहीं हो सकता
पिता तो पिता ही होता है
उसकी जगह कोई नहीं ले सकता
न किसी का दिल इतना बडा होता है
अपना सर्वस्व लुटाकर भी हमारे चेहरे पर मुस्कान हो
यह तो पिता ही कर सकता है।
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