Sunday, 8 August 2021

हाय कैसा मनुष्य

हमने  तो भरोसा किया था तुम पर
तुम तो दगाबाज निकलोगे
यह भी हमने कहाँ जाना था
इतना विश्वास
जितना स्वयं पर भी नहीं किया
उसी से विश्वासघात किया
शर्म नहीं आई
दिल नहीं  कचोटा
तुम तो इंसान थे
पशु भी तुमसे अच्छा होता
कम से कम अपना फर्ज अदा करता
दो रोटी के बदले में  जान दे देता
तुमने तो सब ले लिया
मुझे अकेला छोड़ दिया
मनुष्य कहलाने योग्य नहीं तुम
तुमको देख मनुष्यता भी शरमा जायेंगी

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