मत किसी को कम समझा करें
जरूरी नहीं जो आज है वह कल भी हो
मौसम बदलता रहता है
मनुष्य की किस्मत भी बदलती रहती है
भिखारी को राजा और राजा को भिखारी
कब यह किस्मत बना दे
यह तो कोई नहीं जानता
अर्श से फर्श
फर्श से अर्श तक कब कौन पहुँच जाएँ
कहा नहीं जा सकता
सम्मान न करें तो अपमान भी न करें
कम मत आंके
नहीं तो सामने पडने पर आप ही शर्मशार हो जाएंगे
इंसान को इंसान ही समझे
उससे वैसा ही व्यवहार
जैसा आप अपने लिए चाहते हैं
भले वह बडा अफसर हो
आपके घर का नौकर ही हो
व्यवहार सावधानी और सोच समझ कर करें।
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 1 September 2021
मत किसी को कम समझा करें
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment