वह दिन कभी भूल न पाई
तुमको जो शक था
उसे झूठा साबित कर दिया
इम्तहान में खरा उतर गई
साथ ही तुम भी दिल से उतर गए
विश्वास पर तो टिका है नाता
जब उस पर भी भरोसा नहीं
तब क्या उस वचन पर भरोसा हो
जो सात फेरों के वक्त तुमने दिया था
सब उस अग्नि में जल कर स्वाहा
अब नाता रह गया दिखावा
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