मान- सम्मान बढाता है
मान - सम्मान घटाता है
लोगों को नजदीक लाता है
लोगों को दूर भी करता है
अपने और पराये की पहचान कराता है
तू है पास में तो सब तेरे साथ में
नहीं तो फिर तू दुनिया में अकेला
तू है तो मूर्ख भी बुद्धि मान
तू नहीं तो बुद्धि मान भी जानता सडकों की खाक
तेरे बिना दर - दर भटकता यह इंसान
तू न जाने क्या क्या करवाता
चोरी डाका भी करवाता
दान धर्म भी करवाता
तू जिस पर मेहरबान हो
वह फर्श से सीधा अर्श पर
नाराज हो तो एक ही झटके में धडाम से जमीन पर
तुझे जब किसी को दिया जाएं
तब तो मिठास का जवाब नहीं
मांगने जाएं तो फिर देखो
वैसी कडवाहट कि एक दूसरे का शक्ल न देखें
दोस्ती भी तू ही करवाता
दुश्मनी भी तू करवाता
जान देता भी है
लेने का कारण भी तू
अपरम्पार है तेरी महिमा
तभी तो तू है
सबसे बडा
तेरे बिना कुछ नहीं
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