कितना अच्छा लगता है
यह कहना भी
यह सुनना भी
हाँ लेकिन यह संभव है क्या ??
समस्या तो हर किसी के पास
उसके रूप अलग-अलग हो सकते हैं
यह बात भी दिगर है
एक की जो समस्या है
दूसरे के लिए नहीं हो
वह तो अपना स्वभाव
अपनी जिंदगी
अपना देखने का नजरिया
समस्या न हो तो समाधान भी नहीं
समाधान नहीं तो विकास भी नहीं
समस्या है तभी तो हल करने का प्रयास
पैसा नहीं है तभी कमाने का ध्येय
जो कुछ नहीं है पास
वह सब पाने की चाहत
शिक्षा, संपत्ति, मान - सम्मान
कभी-कभी प्राकृतिक विपदा भी
कभी-कभी भाग्य का लिखा भी
वह तो होना ही है
उसका हल ढूढता व्यक्ति
ताउम्र क्रियारत
तब तो कह सकते हैं
जिसको कोई समस्या नहीं
वह स्वयं एक समस्या है
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