हर रूप में पसंद आनी चाहिए
कभी काली कलूटी
कभी नींबू के साथ लाल - लाल
कभी चीनी के साथ
कुछ फीकी कुछ ज्यादा ही मीठी
कभी दूध के साथ कडाकेदर
कभी मलाई मार कर
कभी अदरक और इलायची की खुशबू के साथ
कभी तुलसी और दालचीनी - काली मिर्च के स्वाद के साथ
एक ही रूप नहीं
हर रूप में रहती लाजवाब
रात हो या दिन
हर दम निभाती साथ
हर हाल में ढल जाती
हर रूप में निखर आती
उबाल आ जाता तो बुझ जाती
बासी होता तो फेंक दी जाती
नए बरतन में फिर बन जाती
कभी ठंड कभी गर्म
कभी दोस्तों की शान
कभी अकेलेपन की आन
कभी प्याले में कम कभी ज्यादा
कभी लेती प्लेट का सहारा
चुस्कियां लेते ही मन हो जाता तरंगित
सर दर्द , गला दर्द चुटकियों में छूमंतर
हर मर्ज की दवा
आलस दूर भागती
काम मे लगाती
सबसे जोड़ती
न कोई भेदभाव
हर दिल की अजीज
तब क्यों न हो जिंदगी चाय सी
No comments:
Post a Comment