अब तो यह जिंदगी
कभी थी भरी - भरी
उफान मारती
गरम गरम
मसालेदार
खुशबूदार
सौंधी सौंधी महक
धीरे - धीरे सब खाली होता गया
अब तो बच गई है
नीचे तली में
कुछ ठंडी सी
जिसे पीने का मन नहीं करता
अब यह भी फेंक दी जाएंगी
कुल्हड़ समेत
वह कचरे के ढेर में
या फिर टूट कर कोने में
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