Saturday, 5 February 2022

अकेलापन

अकेले चलो रे
अकेले भी जीया जा सकता है
किसी की क्या जरुरत है
हम अकेले ही सब पर भारी हैं 
यह अकेलापन कहने को तो ठीक है
है बहुत खतरनाक 
मानवों के इस जंगल में 
हम तरह-तरह के लोगों के साथ रहते हैं 
काम करते हैं 
जीवनव्यापन करते हैं 
सोच लो वह न हो तब 
हमारी भावनाएं 
हमारा प्यार
हमारी स्नेह ममता
हमारी करूणा - दया
हमारी शिक्षा 
यह सब अकेले तो नहीं हो सकती
जो सबके साथ चलने में मजा है
वह अकेले में कहाँ 

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