Saturday, 5 February 2022

ये बेटियां

बेटी तो हर किसी को प्यारी
वह अमीर हो या गरीब 
बहनें भी सबको प्यारी 
वह अमीर हो या गरीब 
कहने के लिए हैं 
बेटी पराया है
यह तो गलत है
यह वह पराया धन है
जो बडी महफूजियत से संभाली जाती है
उसे अपने घर की इज्जत समझा जाता है
उसकी शादी के लिए पिता के पैर के जूते घिस जाते हैं 
जवान भाई अपने शौक को दरकिनार रख काम करता है
ताकि दहेज जुटाता जा सके
जमीन जायदाद बेची जाती है
कभी-कभी अपना घर भी बेचा जाता है
ताकि बेटी सुखी रहें 
गाहे - बगाहे उसके द्वार पर हाजिरी लगाते हैं 
तीज - त्यौहार पर उपहार देते हैं 
ताकि ससुराल में उनका मान - सम्मान बना रहें 
दामाद को सर ऑखों पर बिठाते हैं 
शादी के वक्त भी उसका पैर पूजते हैं 
समानता का जमाना है ना
आज भी अगर बेटी घर में रहें 
काम न करें तब कोई बात नहीं 
वहीं बेटे को घर में बिठाया भारी
उस पर रोज तानो और उलाहनो की बरसात 
देखा जाएं 
तो बेटी सब पर भारी है
बडे से बडा भी अपनी बेटी के लिए किसी के आगे सर झुका लेता है
पहले लोग अपनी पगड़ी उतार कर रख देते थे
अब यह बात दिगर है
स्त्री और पुरुष में बेलेंस बनाये रखने के लिए कुछ नियम है
अगर अपवाद छोड़ दिया जाएँ 
तो जितना सुनने को मिलता है
उतना भी उपेक्षित नहीं है
 ये बेटियां। 

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