गुलाब डाली से अलग हो गया है
फिर भी जिस कोने में हैं वहाँ की शोभा बढा रहा है
खुशबू दे रहा है तब तक जब तक मुरझा न जाएं
हमारे बाद भी हमारे कामों की खुशबू बरकरार रहें
यह तो इस छोटे से फूल से सीखना होगा
मानो कह रहा हो
खुशबू हूँ मैं फूल नहीं
जो मुर्झा जाऊं
जब जब मौसम आएगा
मैं याद आ जाऊंग
No comments:
Post a Comment