Tuesday, 12 April 2022

यही सत्य

आज का  दिन खास
सुबह सुबह लगता है
शाम होते होते वीरान
कुछ नया नहीं 
सब पूर्ववत 
ऐसा हर रोज होता है
सुबह होती है
शाम होती है
सुबह का प्रकाश 
धीरे-धीरे अंधेरे में  परिवर्तित 
समय गुजरता जाता है
जीवन की सुबह संध्या की तरफ
बस प्रतीक्षा रहती है
रात के अंधेरे घबराने की
अंधेरे में सब विलिन
यही सत्य 
यही सार 

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