Monday, 18 April 2022

मेरी पहचान

मेरी पहचान क्या है
समझ नहीं आता
किसी की बेटी
किसी की बहन 
किसी की पत्नी 
किसी की माँ 
तब क्या  करूँ 
मेरा अपन वजूद 
मेरा अपना नाम 
वह तो कब का खो गया
बचपन में  पाठशाला में नाम से पुकारी जाती थी
टीचर और सहेलियों के बीच 
तब लगता था
मैं भी कुछ हूँ 
जब कक्षा में  अव्वल आती थी
स्टेज पर अभिनय के लिए तालियाँ बजती थी
तब मैं भी इतराती चलती थी
आज उसी पहचान की मोहताज हो गई 
किसी की पत्नी किसी की माँ में 
सिमट कर रह गई 

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