Thursday, 7 April 2022

शांति आखिर कैसी ??

कल तक जमकर लडाई होती थी जिनमें 
आज सब शांत है
कहीं कोई संसार नहीं 
तोहमत नहीं 
दोष नहीं 
अब यह अच्छा है कि 
वह अच्छा था
तब तो आधा घंटा बीतते-बीतते झगड़ा निश्चित था
फिर थोड़े ही समय में सब खतम 
साथ में मिलकर खाना - पीना
हंसना - खिलखिलाना 
जाते जाते बाय - बाय , टा - टा  करन 
मत भेद तो था 
मन भेद नहीं था
आज सब खतम 
तुम अपने में रहो
हम अपने में 
कभी-कभी कुछ चीजें हद से ज्यादा हो जाती है
तब वह प्यार हो या झगड़ा 
अगर संभला नहीं  तो 
छोटा सा घाव नासूर बन जाता है
उसको जड से काटना ही पडेगा
यही बात रिश्तों में है
संभाल कर रखें 
शांति या कलह 
लेकिन दोनों ही घातक है

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