तूफान में किनारा
बारिश में आधार
ठंड में गर्माहट
नीला आकाश सी छत्रछाया
धरती सी धीरता
सब मिलता है
माँ के आँचल में
धरती और आकाश के मध्य
भाग्य और कर्म के मध्य
ढाल बनती है वह
कहीं कोई हिचकिचाहट नहीं
कहीं कोई परमीशन नहीं
बस आंचल में छुप जाओ
वह सारे दुख दर्द भूल गले लगा लेगी
ऊपर परमात्मा
नीचे माँ
यह दोनों का साथ
जब हो तब
क्या हो गम
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