हमेशा बच्चे यह उलाहना देते रहते हैं
उससे कितनी मिठास से बात करती हो
हमको तो हमेशा कडकडाती आवाज में ही
कैसे बताऊँ
बाई प्रिय नहीं
उसका काम प्रिय है
मैं बीमार पड जाऊं
एक दिन उठूँ न तो सब बैचैन हो उठते हैं
पूरा घर अव्यवस्थित हो जाता है
आज जिसके बल पर यह घर आराम से चलता है
उसमें उसका बहुत बडा योगदान है
अकेले तो यह सब संभालना मुश्किल हो जाता
घर और बाहर में जो सामंजस्य स्थापित कर पाती हूँ
वह इसी कामवाली की बदौलत
तुम लोगों के लिए कितना भी करूँ
हमेशा शिकायत रहती है
इसे तो अपने पुराने कपडे और बचा हुआ खाना दे देती हूँ
उसी में प्रसन्न हो उठती है
सबसे तारीफ करते नहीं थकती
मेरी हारी - बीमारी, हर मुसीबत में जी जान से लगी रहती है
कहने को तो वह एक नौकर
लेकिन घर के सदस्य से बढ़कर
अपना घर उसके भरोसे छोड़ निश्चिंत हो जाती हूँ
जो स्वादिष्ट भोजन मिलता है
साफ - सुथरा घर रहता है
इस्तरी और धुले कपडे
सब में इसकी भागीदारी होती है
है तो है यह नौकरानी
मुझे बहुत है प्यारी
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