Thursday, 19 May 2022

शरद पवार के लिए अपशब्द

एक नादान सी 
नकचढी सी
है अभिनेत्री 
कहने को तो कवयित्री भी
पर भाषा तो देखो
यही संस्कार है क्या 
यही भारतीयता है क्या
हमारे यहाँ तो दुश्मन को भी ऊंचा आसन दिया जाता है
शरद पवार साहब के बारे में बोलने से पहले कुछ सोच तो लेती
चिंतन मनन कर लेती
अपनी उम्र और उनकी उम्र को देखती 
कुछ तो लिहाज करती
हम लोग तो दुश्मन से भी इतना तो बना कर रखते हैं कि कभी मिल जाएं तो शर्म न महसूस हो
राजनीति के माहिर खिलाड़ी 
पूरा जीवन राजनीति को समर्पित 
आज भी दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती
सभी उनको आदर देते हैं चाहे वह किसी भी पार्टी के हो
उनको लेकर मजाक उडाना
उनकी देहयष्टि को उनके स्वास्थ्य को लेकर कुछ कहना
यह तो एक कवि को शोभा नहीं देती 
कवि का तो ह्रदय कोमल होता है
वह संवेदनशील होता है
जो आया है उसे तो जाना ही है
स्वर्ग और नरक में कौन जाएंगा
यह तो ईश्वर  ही जाने 
पर भूमि को नर्क बनाने की क्या जरूरत 
कल को किसने देखा है
आज जो अच्छा भला है
कल कौन सी दशा होगी नहीं जानता
इतना घमंड 
जरा अपना पैर जमीन पर रखें 
कल्पनाओं के आकाश में न उडे
नाम तो है केतकी
इस फूल के नाम की तो इज्जत रखी होती
सुगन्ध न फैला सको तो दुर्गन्ध तो मत फैलाओ
वह शब्दों का हो या और कुछ का
दुश्मनी भी हो तो खानदानी हो
गटारी नहीं  ।

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