नकचढी सी
है अभिनेत्री
कहने को तो कवयित्री भी
पर भाषा तो देखो
यही संस्कार है क्या
यही भारतीयता है क्या
हमारे यहाँ तो दुश्मन को भी ऊंचा आसन दिया जाता है
शरद पवार साहब के बारे में बोलने से पहले कुछ सोच तो लेती
चिंतन मनन कर लेती
अपनी उम्र और उनकी उम्र को देखती
कुछ तो लिहाज करती
हम लोग तो दुश्मन से भी इतना तो बना कर रखते हैं कि कभी मिल जाएं तो शर्म न महसूस हो
राजनीति के माहिर खिलाड़ी
पूरा जीवन राजनीति को समर्पित
आज भी दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती
सभी उनको आदर देते हैं चाहे वह किसी भी पार्टी के हो
उनको लेकर मजाक उडाना
उनकी देहयष्टि को उनके स्वास्थ्य को लेकर कुछ कहना
यह तो एक कवि को शोभा नहीं देती
कवि का तो ह्रदय कोमल होता है
वह संवेदनशील होता है
जो आया है उसे तो जाना ही है
स्वर्ग और नरक में कौन जाएंगा
यह तो ईश्वर ही जाने
पर भूमि को नर्क बनाने की क्या जरूरत
कल को किसने देखा है
आज जो अच्छा भला है
कल कौन सी दशा होगी नहीं जानता
इतना घमंड
जरा अपना पैर जमीन पर रखें
कल्पनाओं के आकाश में न उडे
नाम तो है केतकी
इस फूल के नाम की तो इज्जत रखी होती
सुगन्ध न फैला सको तो दुर्गन्ध तो मत फैलाओ
वह शब्दों का हो या और कुछ का
दुश्मनी भी हो तो खानदानी हो
गटारी नहीं ।
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