हर रिश्ता मौल्यवान है
यही से प्यार, आधार , ज्ञान मिलता है
अपनत्व और अधिकार मिलता है
फिर भी हर रिश्ते की एक सीमा होती है
एक हद तक ही
सबके सामने खुल कर , स्वतंत्र होकर नहीं रह सकते
एक रिश्ता के सिवाय
वह है दोस्ती का रिश्ता
उसके समक्ष अपने मन की सारी भावनाएं उडेल सकते है
सब कुछ साक्षा कर सकते हैं
इस रिश्ते में चुनाव की स्वतंत्रता होती है
जबरदस्ती का नहीं होता
यहाँ हमारी पसंद और नापसंद मायने रखती है
इसलिए दोस्त तो जरूरी है यार
वह भी सच्चा
भले एक ही क्यों न हो
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