वह दिल पर हो या शरीर पर
छोटा हो या बड़ा
भरने में समय तो लगता है
मरहम की जरूरत होती है
औषधि हो या प्यार
कभी-कभी तो उसको बार बार उकेरा जाता है
तब तो उसे ठीक होने में और समय लगता है
ऐसा भी होता है
वह भरता ही नहीं
तब तो नासूर बन जाता है
हो सकता है
कोई अंग काटना पडे
जानलेवा भी हो सकता है
तब समय रहते ही इलाज हो
तब शायद बात बन जाएं
पहले तो घाव से बचे
खुदा ना खास्ता लग भी जाएं
तब देरी न करें
बिना समय गंवाये
उचित इलाज करें
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