कहीं धर्म के बंधन हैं
कहीं जाति के बंधन
कल तक पिछड़ी कही जाने वाली जातियां
आज सर उठाकर विद्रोह दर्शा रही है
तो अगडी कही जाने वाली मजाक का पात्र बन रही है
किसके साथ न्याय और किसके साथ अन्याय??
तब तुम्हारा वक्त था तो आज हमारा है
यहीं तो सबसे बडी विसंगति है
बदला की भावना
ईष्या की भावना
नीचा दिखाने की भावना
सब लोग एक - दूसरे से होड में लगे हैं
यह तो प्रजातंत्र की प्रकृति के लिए अच्छा नहीं है
न्याय तो सबके साथ हो
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