उसकी सेवा करो
आप उसकी धर्म पत्नी है
यह आपका कर्तव्य है
जमाना बदला है
अब कोई परमेश्वर नहीं
एक दूसरे के साथी है
गाडी के दो पहिये के समान है
कोई कम - ज्यादा नहीं
परिस्थितियों में अंतर आ गया है
कोई किसी पर निर्भर नहीं
यह बात भी सही है
घर तो दोनों के सहयोग से चलता है
फिर भी हम नारियों को एक बात तो माननी पड़ेगी
संसार का सर्वोच्च पद
माता होने का दर्जा
वही पुरूष देता है
अपने घर और हदय की रानी बनाकर रखता है
वैसे ब्याह तो जुआ का खेल
जो इसमें जीता वही सिकंदर
फिर तो उसे राज करने से
इशारों पर नचाने से कोई रोक नहीं सकता
तभी तो सुहाग की अमरता की कामना की जाती है
व्रत- उपवास रखे जाते हैं
क्योंकि वह है तभी तक आप बहुमूल्य है
तब उसे परमेश्वर मानने में हर्ज ही क्या है
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