मुझसे क्यों इतना नाराज
तुझ पर तो मुझे है नाज
तू मेरा अभिमान
तुझ बिन मेरा जीवन सूना
तेरी आहट सुन मेरा मन हो जाता प्रसन्न
तू तो है मेरा शान
तेरे बिन सब सूना
तेरे बिना मेरा जीवन भी अधूरा
मेरी हर सांस में तू ही तू
हर आस है तू
तुझसे ही जीवन है गुलजार
तू नहीं तो कुछ नहीं
कुछ भी नहीं
न जाने यह क्या हुआ
दोष किसका ??
परिस्थिति का या किसी और का
ना पवन की ना सुमन की
किसकी है यह भूल
यह समझ पाना भी है मुश्किल
तेरी मुस्कान में तो बसे मेरे प्राण
अब तो मान जा मेरी जान
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