Tuesday, 31 May 2022

घर और मन

घर और मन
दोनों अपने
किसको बिठाना है
किसको अलविदा कहना है
यह भी हम पर
हाँ कभी - कभार अनचाहे मेहमान आ जाते हैं 
कुछ वक्त के लिए हम परेशान तो हो जाते हैं 
उनके जाने के बाद हम सुकून की सांस लेते हैं 

यह हमारा
पूर्ण अधिकार हमारा
हमारी इच्छा 
हमारे सपने
हमारी आशा - आंकाक्षा
सुख - दुख हमारा
खुशी हमारी
रूदन हमारा
पल - पल के साक्षी 

इस पर और किसी को शासन न करने दे 
किसी को भी जबरदस्ती घुसने न दे
किसी को भी अपना निर्णय स्वयं पर थोपने न दे
भावनाओं के साथ न खेलने दे
स्वतंत्र विचरण करें 
घर में और मन में 
अगर यहाँ आपने अपना अधिकार छोड़ दिया
तब तो आप गुलाम से कम नहीं 

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