तभी घर गुंजार है
पूरे घर में हलचल
नहीं तो दस के बाद पूरी शांतता फैल जाती है
बस फैला हुआ काम समेटते समेटते दोपहर हो जाती है
आज तो काम ही काम
सबका देर से उठना
सबकी अलग-अलग फरमइशे
सबके मनपसंद नाश्ता और खाना
इसमें गृहिणी की कब सांझ हो जाती है
कुछ पता ही नहीं चलता
सबकी तो छुट्टी
उसका काम तो बढ ही जाता है
सांस लेने की भी फुरसत नहीं
लेकिन परिवार के सदस्यों के चेहरे पर संतुष्टि
खुशी देखते ही सब काफूर हो जाता है
उसे इतना काम करने के बाद भी इतवार अच्छा लगता है
कम से कम अपनों का साथ
कुछ पल बातचीत
साथ हंसना - खिलखिलाना
नहीं तो हर रोज भागम-भाग
बात करने और सुनने तक की फुर्सत नहीं
सुबह के गए गए देर रात तक घर आना
आते ही खाना खाकर बिस्तर पर निढाल हो जाना
इतवार तो इसका अपवाद है
तभी तो इसका इंतजार रहता है
तभी तो इससे मुझे प्यार है
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