Saturday, 28 May 2022

बचपन है यह साहब

कर लेने दो शैतानिया 
कर लेने दो नादानिया 
कर लेने दो तोड़ फोड़ 
कर लेने दो उठा पटक
कर लेने दो जिद
कर लेने दो मन माफिक
खेलने दो भरी दोपहरिया में 
कर लेने दो मटरगश्ती 
घूमने दो दोस्तों के साथ
धमाल - मस्ती करने दो
यह बचपन है
अब नहीं तो कब ?
जब बडे हो जाएंगे तब 
जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाएंगे तब
सर्टीफिकेट हाथ में लेकर नौकरी के लिए भटकेगे तब
परिवार की जिम्मेदारी उठाएंगे तब
तब यह सुनहरा वक्त नहीं आएगा 
यह बचपन वापस नहीं आएगा 
एक बार बडे हो गए तो हो गए
फिर तो वह समझदार नागरिक बन जाएंगा
जब तक छोटा है तब तक माँ- बाप का दुलारा है
जब स्वयं बाप बन जाएंगा
तब रोटी - दाल का भाव समझ आ जाएंगा
पैसे की कीमत पता चल जाएंगी
समय से पहले इसका बचपन बोझिल न होने दें 
बिना कारण हंसने - खिलखलाने दें 
बचपन है यह साहब
इसे मुरझाने न दे। 

No comments:

Post a Comment