हर हाथ में मोबाईल
छोटा हो या बडा
बूढा हो या बच्चा
अमीर हो या गरीब
शादी - ब्याह हो
पर्यटन हो
जन्मदिन हो
चमचमाती कार हो
होटल में खाना हो
यहाँ तक कि बच्चे का जन्मते ही
दोस्तों के साथ मौजमस्ती हो
रोमांस हो
और न जाने क्या क्या
यह सब जग जाहिर करना है
ठीक है अपनी खुशियों के पल को देखना
पर उसका विज्ञापन करना
यह तो उचित नहीं
हो सकता है
आपका रिश्तेदार या दोस्त की ज्यादा हैसियत न हो
उसमें कमी की भावना आ सकती है
ईर्ष्या हो सकती है
यह कोई नयी बात नहीं
मनुष्य का स्वभाव है
वह हर उस चीज को पाना चाहता है
जो उसके पास न हो
दिखावा करने के लिए सोशल मीडिया नहीं है
कुछ ऐसी याद जरूर रखिए
लेकिन उसे उजागर करते समय
जरा उनके बारे में भी सोच ले
जो इन सबसे वंचित है
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