Tuesday, 31 May 2022

आई ऑधी आई शुभ संदेश लाई

धूल उडाती आई आंधी
सब लगे भागने इधर - उधर
कोई घर की ओर तो कोई और ठिकान
पंछी लगे छुपने अपने घोसलो में 
पेड़ लगे हिलने जोर - जोर से 
पत्तियां झरने लगी
डालिया टूटने लगी 
सब लोग डरे - घबराएं 
कहीं न कहीं दुबके हुए 
हर जीव है परेशान

कुछ देर में ही होने लगी 
झम झमा झम  बरसात 
यह तो बारिश आने की सूचना 
धरती भी हो गई ठंडी 
सब जीव भी होने लगे प्रसन्न 
लगा मयूर नृत्य करने
किसान की फसलों ने भी ली अंगडाई 
सब जगह हुआ पानी - पानी
सबके मुख पर आई आंनदी हंसी
सब भूल गए ऑधी को
उसके घरघराते थपेडों को

यह तो होता है हर साल
हर बार , बार - बार
ऑधी भी आती है 
अपने लाम लश्कर के साथ
फिर बारिश होती है
यह तो चक्र है
प्रकृति का
जीवन का
पृथ्वी के हर जीव का
हर निवासी का
हर कण-कण का 
मौसम ने ली अंगडाई 
आई ऑधी आई
शुभ संदेश लाई



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