अमीर हो या गरीब
राजा हो या रंक
सबका आधार होती है
संतान भी किसी की हो
कैसी भी हो
माँ के लिए वह अमूल्य होती है
हर माँ के लिए
उसकी बेटी राजकुमारी
उसका बेटा राजा बाबू होता है
दुनिया कुछ भी कहें
पर माँ वह नहीं
उसकी औलाद हमेशा निर्दोष ही दिखती है
अगर किसी को देखना हो
परखना हो
तो उसकी माँ के नजरिये से देखें
वह सर्वश्रेष्ठ रहेंगा
सभी गुणों से भरपूर
कहीं कोई कमी नहीं
क्योंकि माॅ प्यार के चश्मे से देखती है
संतान के लिए तो वह क्या न कर दें
वह भी कोई मजबूरी नहीं
स्वेच्छा से
पूर्ण मन से
कैकयी से अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है
अपने पुत्र भरत के लिए
इतना बडा कलंक ले लिया
जो लोगों को सदियों तक याद रहें
राजा दशरथ की मृत्यु का कारण बनी
पति को उस पर न्योछावर कर दिया
राम को वनवास दिया
ताकि वह भरत की राह में रोड़ा न बने
बेटे के लिए प्रजा से भी तिरस्कार मिला
सबसे पंगा ले लिया
केवल अपने भरत के लिए
वह गलत थी
यह सर्वविदित है
पर वह माॅ थी भरत की
हर माँ चाहेगी अपनी संतान की भलाई और उन्नति
उसने भी वही किया
पर यह वह भूल गई
उसने भरत को योग्य शिक्षा दी है
कभी छल - कपट और दांव- पेंच नहीं सिखाया
स्वार्थ वृत्ति नहीं सिखाई
माता ने उनको आदर्श व्यक्ति बनाया
इसलिए जब वह पुत्र प्रेम में अंधी हो गई थी
मंथरा की बातों में आकर
रानी कैकयी मतिभ्रम हो गई थी
वह जो राजा दशरथ के साथ देवासुर संग्राम में लडी थी
असहाय और कलंकिनी हो गई अचानक
पर भरत भी तो उसी माता के बेटे थे
कि उन्होंने सही निर्णय लिया
तभी तो मैथिलीशरण गुप्तजी ने साकेत में राम के मुख से कहलवाया है
धन्य धन्य वह एक लाल की माई
जिस जननी ने जना भरत सम भाई
No comments:
Post a Comment