Saturday, 25 June 2022

मेहमान

वे भी मेहमान थे
हम भी मेहमान थे
एक फर्क यह था
वे बडे ओहदे वाले थे
संपत्ति शाली थे
हम कहाँ साधारण लोग

जब वे आए हमारे घर 
हमने खूब खातिरदारी की
आवभगत और खुशी से स्वागत किया
जाते समय भी तोहफे दिए
अपने को धन्य समझे 
कि वे हमारे घर आए 

हम जब उनके घर गए
न चेहरे पर उत्साह और खुशी 
ऐसे लगा जैसे अंजानो के बीच आ गए
खातिरदारी भी सामान्य सी
कुछ विशेष नहीं 
ऐसा लगा कि 
आना नहीं भाया

बुरा लगा
अचानक विचार आया
सब स्टेट्स का फर्क है
वे आए तो तुमने उनकी स्टेट्स के अनुरूप किया
तुम गए तो तुम्हारी हैसियत के अनुसार तुम्हारा
ऐसा होना कोई असामान्य बात नहीं है ।

No comments:

Post a Comment