Sunday, 19 June 2022

रिश्ते निभाना

रिश्ते निभाना 
रिश्ते सहेजना
इतना आसान नहीं होता
टूटना पडता है
बिखरना पडता है
मन मसोसकर रह जाना पडता है
भूलना पडता है
स्वयं को मिटाना पडता है
जब जाकर यह कायम रह पाते हैं 
कितना भी जतन कर लो
कभी-कभी एक गलतफहमी पूरे किए - किराए पर पानी फेर देता है
सौ अच्छाइयां कर लो
एक गलती कर लो
वह याद रह जाती है
कितना संभलोगे 
आखिर इंसान ही तो है
कुछ न कुछ तो निकल ही जाता है
क्रिया की प्रतिक्रिया भी तो होती है
कुछ तुम भूलो कुछ वह भूले
कुछ तुम नजरअंदाज करो कुछ वह करें 
तभी तो बात बनेगी
दूर तक साथ निभाना  है तो
प्रयास हर किसी का हो अन्यथा 
एक क्षुद्र कारण ही पर्याप्त है दूरी लाने के लिए 
विश्वास और समर्पण तथा प्यार और समझदारी
इतनी बडी जिंदगी है यार
इंसान ही तो है ईश्वर नहीं 
तब परिपूर्णता कैसे होगी
चार कदम तुभ चार कदम हम
तभी तो 8 होगा
यह बंधा रहेंगा
अलग-अलग कर लो 
तब तो 0/0       -------  8 
चाहे कुछ भी हो
रिश्ता कायम रहे 
यह सोच सबकी हो
निभाने की जिम्मेदारी भी सबकी हो

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