न ज्यादा व्रत - उपवास न नियम
न कोई मनौति बस दर्शन की अभिलाषा
बस अपनी सुविधानुसार रोज हाथ जोड़ लेती हूँ
फूलमाला और दिया जला देती हूँ
हाँ मुसीबत के वक्त याद करती हूँ
कभी प्रार्थना तो कभी कोसना
यह तो भक्त और भगवान का नाता ही है
किसको बोले
यह मैंने देखा है ईश्वर ने हर समय मुश्किल में मदद की है
और उसको आसान बना दिया है
बात कुछ पांच- छह वर्ष पहले की है
मेरा बेटा बेंगलोर में पढाई कर रहा था
प्लेसमेंट हो रहा था
एक कंपनी में प्लेसमेंट हुआ वह बेंगलोर में ही थी
कुछ दिन बाद कंपनी ने कहा
तुमको नोएडा जाना पडेगा
प्लेन का टिकट और सारी औपचारिकता हो गई थी
नोएडा में न कोई जान न पहचान
मुंबई में रहा हुआ लडका
कहाँ क्या करेंगा वहाँ
माँ होने के नाते यह विचार आ रहे थे
रात भर नींद नहीं आई
ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी कुछ करें
बेटा तो निश्चिंत था
मैं कर लूंगा अपना इंतजाम
अचानक फोन आया कि मेरा दूसरी कंपनी में हो गया है
बात यह हुई कि
वह अपने बाॅस के साथ एक जगह गया था
वह आई टी हब ही था
बाॅस ने उसको नीचे इंतजार करने को कहा
बगल में ही एक बिल्डिंग थी जिस कंपनी में उसे होल्ड पर रखा गया था
वह सोचा कि तब तक मिल आऊ देखूं क्या बोलते हैं
वहाँ पर उसे हाॅ कहा गया और कन्फर्म हो गया
अब पहले वाले को ना कहना था
वह सब हो गया
कुछ फार्मलिटी पूरी करनी थी
मेरी जान में जान आई
अब तो यह ईश्वर की कृपा ही कही जाएगी ना ।
न जाने जीवन में कितने ऐसे वाकया हुए हैं
जहाँ ईश्वर ने दिखाया है
मैं हूँ , मैं हूँ।
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