मन में सर्द की लहर है
ऑखों में ऑसू मुख पर मुस्कान है
न जाने क्या बात है
खुश हो या गम मनाए
यह समझ के बाहर है
कुछ तो ऐसी बात है
जो मन के विरुद्ध है
क्या करें क्या न करें
यह निर्णय तो मुश्किल है
किस ओर जाए किस ओर नहीं
मन तो गुमराह है
जब बात हो ऐसी
चित भी अपनी पट भी अपनी
यही तो असली बात है ।
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