इंसान का स्वभाव बदल गया
अब वह पहले जैसा नहीं रहा
वाकई ऐसा हैं
शायद नहीं
इंसान तो वही रहता है
परिस्थितियां बदल जाती है
जीवन के मायने बदल जाते हैं
हालात बदल जाते हैं
तब तो बदलना लाजिमी है
गरीबी से अमीरी की ओर बढते
शिक्षा और सफलता
ओहदे और पद की बढोतरी
मकान और संपत्ति
और न जाने क्या-क्या
साला मैं तो साहब बन गया
साहब बन के कितना तन गया
हाँ इतना सब होने के बाद भी कुछ लोगों में गर्व और घमंड नहीं आता
बस इंसान न बदले
नीचे से ऊपर जाना तो सबका हक है
क्यों कोई इससे वंचित रहें।
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