Friday, 15 July 2022

कविता करना कोई खेल नहीं

कविता करना कोई खेल नहीं 
भावनाओं से रूबरू होना पडता है
तब कविता  का जन्म होता है
पीड़ा और दुख - दर्द को महसूस करना पडता है
तब कविता का जन्म होता है
अंजाने के  एहसास को अपना बनाना पडता है
उसे शब्दों में उकेरना पडता है
तब कविता का जन्म होता है 
प्रसव- पीडा से बस माँ ही गुजरती है
उस माँ की पीड़ा जब समझी जाती है
तब कविता का जन्म होता है 
विरह की वेदना तो प्रेमी और प्रेमिका सहते हैं 
उस अनुभव को जब लडियो में पिरोया जाएं 
तब कविता का जन्म होता है 
वेदना , हास्य  , रूदन की अनुभूति को समझना पडता है 
तब कविता का जन्म होता है
कविता कोई खिलौना नहीं 
भावनाओं का पिटारा होता है
न जाने कितने जख्म लगते हैं 
तब कविता का जन्म होता है 
न जाने कब किसके मन में प्यार प्रस्फुटित होता है
तब कविता का जन्म होता है
मन की कोमल भावनाएं 
जब अंगडाइया लेती है
तब कविता का जन्म होता है 
किसी का हास्य
किसी की वेदना
जब ऑखों से  बाहर छलकते हैं 
तब कविता का जन्म होता है 
कविता करना कोई खेल नहीं।

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